कृपया हाँ या ना में जवाब दें

कुछ सालों बाद
जब शायद ही मैं तुम्हारी ज़िन्दगी का हिस्सा रहूँ,
और दोपहर के आसमान में मई का सूरज भड़का हो
तब हाथों में चाय का कप लिए,
क्या मुझे याद करोगे?

जब किसी कोने से अमजद अली का बागेश्री सुनाई दे
या कोई अपनी किताब पर मायूसी में गुर्रा दे
तब बेशर्मी से
क्या मुझे ढूँढोगे?

और जब दुनिया तुम्हारे लिए सारे दरवाज़े खोल दे
क्या तब मेरा दरवाज़ा खटखटाने की सोचोगे?

Comments

  1. Such an appeal can only be written if it's genuine, so probably yes to all answers, because who can stop thought? Kabhi na kabhi, kahin na kahin.... kaii saal baad... kaun jaane?

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