जनम-जनम को संग न भूलें।
तू वो था
जिसकी आवाज को सुनने मैंने 3 घंटों का सफर तय किया, पहली बार
और जब किया,
तो मुझे हमेशा के लिए
एक घर मिला।
जिसकी आवाज को सुनने मैंने 3 घंटों का सफर तय किया, पहली बार
और जब किया,
तो मुझे हमेशा के लिए
एक घर मिला।
तू वो था जिसने मुझे भूप से मिलवाया
वो जिसने हंसध्वनि से मेरा रिश्ता पक्का करवाया
तूने ऋषभ से शुरू किया वो,
जो दुनिया धैवत से करती है।
वो जिसने हंसध्वनि से मेरा रिश्ता पक्का करवाया
तूने ऋषभ से शुरू किया वो,
जो दुनिया धैवत से करती है।
सहेला रे,
तेरी बंदिश ने
न जाने कितनों को आज़ाद किया
अब मुझे मिलकर गाने के लिए कौन पुकारेगा?
तेरी बंदिश ने
न जाने कितनों को आज़ाद किया
अब मुझे मिलकर गाने के लिए कौन पुकारेगा?
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