from Javed Akhtar
अब अगर आओ तो
पुरानी यादें छोड़ के आना
अब अगर आओ तो
नयी बातें बनाने आना
अब अगर आओ तो
घर के अंदर जूते निकालते आना
अब अगर आओ तो
तकल्लुफ़ को अपने साथ लेके मत आना
(find the original poem here - http://shayrana.org/archives/22108)
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