याद करते हैं तुम्हें

वो झुमके जो कोलाबा से आधे क़ीमत में लाए थे
जो मैंने दिलवाए थे हमारी पहली मुलाक़ात पर

वो कुर्ता जो तीन बार ऑल्टर करके लिया था
जिसके फ़ोटो भेज के मुझे परेशान कर दिया था

वो lipstick जो मैंने अमरीका से मँगवाई थी
ज़िद करके ले गई थी मुझसे तुम, लौटाने भी वाली थी

और जो सूरमा घर में पहनने को लाया था
अभी भी आईने के सामने धूल खा रहा है ना?

पहन क्यों नहीं लेती?

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